चूड़ी खनकी
प्याली खड़की
पंछी आ गए
खिड़की पर मुझसे बतियाने।
आजकल
काम समझ कर
मैं उनसे बात करता हूं।
वह सूरज से
नई भोर का संदेश लेकर आते हैं,
अवध से लाते हैं
राम का अनुराग।
राम की सांत्वना है
मेरा हृदय छोड़
वह कहीं नहीं जाने वाले।
अयोध्या से मुझे निमंत्रण न हो
शबरी की कुटिया में
तय है आराध्य का पदार्पण !!!!